नई दिल्ली (अमन इंडिया)। नई दिल्ली के शालीमार बाग इलाके में हाल ही में एक स्थानीय पार्क में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग मिले जिनका गला कटा हुआ था। वह बेहोश थे और घाव से काफी खून बह रहा था, उन्हें सांस लेने में भी काफी कठिनाई हो रही थी। यह सूचना मिलते ही तत्काल फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग की इमरजेंसी टीम मौका स्थल पर पहुंची और उनकी रक्तस्राव रोककर पार्क में ही उनकी हालत स्थिर बनाने की कोशिश की गई। इसके बाद मरीज़ को अस्पताल में भर्ती किया गया जहां डॉ रजत गुप्ता, सीनियर कंसल्टैंट, डिपार्टमेंट ऑफ प्लास्टिक, कॉस्मेटिक एंड रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी, फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में जुट गई।
अस्पताल पहुंचने तक मरीज़ के शरीर से काफी खून बह चुका था और उन्हें सांस लेने में भी काफी कठिनाई हो रही थी। वह सदमे में भी थे। उन्हें तत्काल ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया। मरीज़ के गले का घाव काफी गहरा था और इससे उनकी श्वसन नली के अलावा फूड पाइप तथा वॉयस बॉक्स भी बुरी तरह से कटकर क्षतिग्रस्त हो गए थे। डॉक्टरों ने उनके घाव में स्टेराइल ड्रैसिंग की और रक्तस्राव रोकने के लिए प्रेशर बढ़ाया। इसके बाद, सांस लेने के लिए उन्हें नली लगायी गई। यह करना आसान नहीं था क्योंकि उनके गले में काफी बड़ा जख्म था और उन्हें मुंह के जरिए नली लगानी पड़ी। इस सर्जरी में 4 घंटे लगे और उसके बाद मरीज़ को आईसीयू में शिफ्ट किया गया जहां उन्हें 24 घंटे के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। धीरे-धीरे मरीज़ की हालत में सुधार होने लगा और ऑपरेशन के बाद उनकी हालत स्थिर बनी रही।
इस बारे में, डॉ रजत गुप्ता, सीनियर कंसल्टैंट, डिपार्टमेंट ऑफ प्लास्टिक सर्जरी ने कहा, ''यह सर्जरी वाकई काफी चुनौतीपूर्ण रही क्योंकि मरीज़ के शरीर से काफी अधिक मात्रा में खून बह चुका था जिसके कारण जटिलताएं बढ़ गई थीं। इसके अलावा, मरीज़ की उम्र भी अधिक थी और घाव भी काफी गंभीर था। न सिर्फ उनके गले में कई रक्तनलियों से खून का बहाव जारी था बल्कि मुंह से भी खून निकल रहा था। मरीज़ की सर्जरी के दौरान, लैरिंगोफैरिंक्स को पहुंचे जख्म को भरने के अलावा मांसपेशियों को भी जकड़ने की जरूरत थी। ट्रैकेस्टॅमी (नली के मार्फत सांस लेना) और हिमोस्टेटिस (रक्तस्राव नियंत्रण) प्रक्रिया को भी अंजाम दिया गया तथा सॉफ्ट टिश्यूज़ (त्वचा के साथ-साथ चिपके हुए) को भी भरा गया। इसके बाद हमने मरीज़ को भोजन देने के लिए एक नोसोगैस्ट्रिक ट्यूब भी डाली। चूंकि मरीज़ का हिमोग्लोबिन लैवल काफी गिर चुका था, इसलिए एक यूनिट पीआरबीसी भी चढ़ाया गया।''
महिपाल भनोत, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग ने कहा, ''फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग हर मामले को इस तरह से लेता है कि वह मरीज़ के लिए फायदेमंद हो। महामारी के इस दौर में, हमारे डॉक्टर हर मरीज़ के इलाज के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमें उन पर सही मायने में गर्व है। अक्सर ट्रॉमा के मरीज़ों के बचने की संभावना कम होती है, लेकिन हमारे डॉक्टरों ने यह सुनिश्चित कर