नोएडा ( अमन इण्डिया) । देश में निमोनिया हर साल लाखों मासूमों की सांसें छीन रहा है। निमोनिया से बचाव के टीके से कुछ सुधार हुआ है लेकिन अभी भी कई बच्चों की मौत निमोनिया से हो रही है।
शनिवार को निमोनिया जागरूकता दिवस है। देश में हर साल लाखों बच्चों का जन्म हो रहा है। लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत निमोनिया से अब भी हो रही है।
चौंकाने वाली बात यह है कि काफी बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते हैं। जबकि मार्केट में बच्चों को निमोनिया से बचाने की वैक्सीन उपलब्ध है। निमोनिया से बचाव की वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में मुफ्त लगाई जा रही है। इससे काफी हद तक मासूमों को बचाने में कामयाबी मिली है।
फेलिक्स हॉस्पिटल के डॉ नीरज कुमार (बाल रोग विशेषज्ञ) ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक संक्रमण है। जो बैक्टीरिया, फंगस व वायरस से होता है। इससे फेफड़ों में सूजन आ जाती है। उसमें तरल पदार्थ भर जाता है। सर्दी-जुकाम के लक्षण बहुत कुछ मिलते-जुलते हैं।
निमोनिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। यह सबसे ज्यादा पांच साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है। निमोनिया से साल 2015 में 5 साल से कम आयु वर्ग के 920136 बच्चों की मृत्यु हुई, जो कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का 16 % है। निमोनिया को आसानी से रोका जा सकता है और बच्चों में होने वाली मृत्यु का इलाज भी पॉसिबल है, फिर भी हर 20 सेकंड में संक्रमण से एक बच्चा मर जाता है।
बच्चों का समय से टीकाकरण करवाकर निमोनिया के खतरों से बचा सकते हैं। निमोनिया का टीका न्यूमोकॉकॉल कोन्जुगेट है। यह टीका डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह और 15 माह में लगाया जाता है। कुपोषण के शिकार बच्चों को निमोनिया आसानी से चपेट में ले लेता है।
सर्दियों में जरा सी चूक से बच्चे निमोनिया की गिरफ्त में आ सकते हैं। छह माह तक बच्चों को मां के दूध के अलावा कुछ भी बाहरी चीज न दें।
इन बातों का रखे ध्यान.................................
● गुनगुने तेल से शिशु को मालिश करें
● खांसते और छींकते समय मुंह पर हाथ रखें।
● इस्तमेाल टिशू को तुरंत डिस्पोज करें
● बच्चों को ठंड से बचाएं
● नवजात को पूरे कपड़े पहनायें
● नवजात के सिर, कान और पैर ढंक कर रखें।
● पर्याप्त आराम व स्वस्थ आहार लें
● छोटे बच्चों को छूने से पहले हाथों को साबुन से धोएं
● प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें, एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाएं
बीमारी के लक्षण...........................
● सांस तेज लेना
● पसलियां चलना
● कफ की आवाज आना
● खांसी, सीने में दर्द
● तेज बुखार और सांस लेने में मुश्किल
● उल्टी होना, पेट व सीने के निचले हिस्से में दर्द होना
● कंपकंपी, मांसपेशियों में दर्द
● शिशु दूध न पी पाए
● खांसते समय छाती में दर्द
● खांसी के साथ पीले, हरा बलगम निकलना।
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