नोएडा (अमन इंडिया ) । दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, विशेषकर भारत में, स्नेकबाइट एक आम लेकिन खतरनाक घटना है लेकिन अक्सर ये चिंताजनक रूप ले लेते हैं।
बरसात के मौसम में स्नेकबाइट से सम्बंधित दुनिया भर में सबसे अधिक मामले,लगभग 90 प्रतिशत भारत में देखे जाते हैं। फेलिक्स हॉस्पिटल के डॉ सलिल मलिक (हेड ऑफ़ इमरजेंसी मेडिसिन) एवं डॉ श्वेता गर्ग (हेड ऑफ़ इंटेंसिव केयर यूनिट) बताते हैं कि एक ऐसा देश जहां सांप के काटने से हर साल लगभग 60,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है, इसमें समय पर और प्रभावी उपचार महत्वपूर्ण है। यह केस स्टडी, फ़ेलिक्स अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के प्रमुख डॉ. सलिल मलिक के नेतृत्व में एक 8 वर्षीय बच्चे को स्नेकबाइट के चंगुल से बचाने के लिए जीवन-रक्षक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करता है।
जैसा कि फ़ेलिक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि स्नेकबाइट को मोटे तौर पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: न्यूरोटॉक्सिक और ब्लड रिलेटेड। न्यूरोटॉक्सिक स्नेकबाइट - मुख्य रूप से नर्व तंत्र को प्रभावित करता है, जबकि ब्लड-रिलेटेड स्नेकबाइट रक्त जटिलताओं से सम्बंधित होता है।
स्नेकबाइट की स्थिति में ज़हर को शरीर में फैलने से रोकने के लिए क्या करें और क्या न करें -
क्या करें:
1. पीड़ित को स्थिर करें.
2. प्रभावित अंग या शरीर के हिस्से को यथासंभव स्थिर रखें।
3. कसाव से बचने के लिए काटने वाली जगह के पास से तंग कपड़े या गहने हटा दें।
4. तत्काल चिकित्सा सहायता लें।
5. सांप को पहचानने की कोशिश करें, लेकिन इस प्रक्रिया में और अधिक चोट लगने का जोखिम न उठाएं।
क्या न करें:
1. घाव को मत काटो.
2. जहर को चूसने की कोशिश न करें।
3. काटने वाली जगह पर सीधे बर्फ या ठंडा पैक लगाने से बचें।
4. शराब या किसी अन्य पदार्थ का सेवन करने से बचें यह हृदय गति और सर्कुलेशन को बढ़ा सकता है
5. Tourniquet का प्रयोग न करें.
फेलिक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने बचाई स्नेक बाइट के शिकार हुए 8 साल के बच्चे की जान