नोएडा में चल रहे रामकथा का भव्य तरीके से हुआ समापन गुरूदेव ने आयोजकों के कार्य को सराहा



अहंकार के नाश के लिए गुरु कृपा का होना अति आवश्यक: सद्गुरूनाथ जी महाराज


नई दिल्ली (अमन इंडिया ) ।  विष्णु महायज्ञ के पावन अवसर पर परम पूज्य दिव्यदर्शी, परम पूज्य सद्गुरूनाथ जी महाराज के श्रीमुख से राम कथा का 10 दिसम्बर से 18 दिसम्बर तक अविरल धरा बही जिससे पूरे क्षेत्र राममय रहा। विभिन्न संस्थाओं से जुड़े काफी लोगों ने गुरूदेव से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। लोगों के रामकथा के दौरान जितना भक्तिभाव का परिचय दिया वो काबिलेतारीफ है। पूरा कथा स्थल जय श्री राम और गुरूदेव के जयकारे से गूंजता रहा। 

इतनी बढ़िया ढंग से राम कथा करवाने के लिए सद्गुरूनाथ जी महाराज ने आयोजकों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि आप लोगों के अथक प्रयास से ही इतने भव्य तरीके से राम कथा संपन्न हो सका।

आयोजकों ने कहा कि गुरूदेव ने जिस अनोखी शैली से राम कथा का गुणगान किया वो अन्यत्र देखने को नहीं मिलता। पूरी भक्ति, ज्ञान और आध्यात्म को गुरूदेव ने अपने श्रीमुख से सुनाया है जिससे भक्तों को काफी लाभ मिला। पूरे कथा स्थल पर लग रहा था साक्षात श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण, हनुमान सभी मौजूद है। जैसे-जैसे कथा आगे बढ़ी लोगों की भीड़ भी कथा स्थल पर बढ़ने लगी। लेकिन श्रीराम की कृपा से सब चीजंे बढ़िया से संपन्न हुई। आशा करते हैं कि हमलोग ऐसे ही सनातन धर्म और श्रीराम की भक्ति को लोगों के घर-घर तक पहुंचाएं। 

कथा के दौरान गुरूदेव ने कहा कि  प्रभु राम हमारे आचरण और हमारे उत्तम विचार में अवश्य विराजमान होने चाहिए। यही उनकी सबसे बड़ी भक्ति है। उन्होंने आदर्श राजा, उत्कृष्ट भाई, श्रेष्ठ पुत्र, महान मित्र की भूमिका एक साथ निभाई तथा एक मानक स्थापित किया।  उन्होंने कहा कि प्रभु राम के नाम मात्र से रावण जैसे अत्याचारी का अंत हो जाता है और अंदर के सारे क्लेश पाप और कुविचार समाप्त हो जाते हैं। मन के रावण का अंत करें, स्वतः प्रभु राम की भक्ति मिल जाएगी। अन्याय पर न्याय की जीत के लिए प्रभु श्री राम ने विकट समुद्र को पार कर यह साबित कर दिया कि अन्याय और अत्याचार का हर समय विरोध करना ही मनुष्य का नैतिक कर्तव्य है।

रामकथा के श्रवण से मन के राग, द्वेष, ईर्ष्या, और भेदभाव स्वतः समाप्त हो जाते हैं। यह मन को शांत कर हिंसक भावनाओं का रोकती है। राम नाम की महिमा बतलाते हुए कहा कि राम का नाम अनमोल है, यदि पापी भी राम का नाम लेता है तो उसे सदगति मिल जाती है। जिसके ह्दय में प्रभु के प्रति भाव जागते हैं, जिस पर हरि कृपा होती है। वह मनुष्य ही प्रभु की कथा में शामिल होता है। श्रीराम कथा का मनोयोग से श्रवण कर उसके उपदेश को जीवन में उतारें। तभी कथा की सार्थकता है। मन व ध्यान की एकाग्रता से हर कार्य में सफलता मिलती है। भगवान का आगमन सदैव धर्म की रक्षा के लिए हुआ है। 

धनुष अहंकार का प्रतीक है और अहंकार तोडा भगवान का सरल स्वभाव है। उन्होंने कहा कि अहंकार के नाश के लिए गुरु कृपा का होना अति आवश्यक है। जब तक जीवन में अभिमान रहेगा। तब तक भगवान की प्राप्ति संभव नहीं है। भगवान ने स्वयं अवतार लेकर गुरु महिमा का दर्शन करवाया। बिना गुरु कृपा के ज्ञान की प्राप्ति भी संभव नहीं हो सकती। 

शरीर के स्वास्थ्य रहते मनुष्य को मोक्ष और ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए। जिस उद्देश्य से मनुष्य की देह को इस संसार पर भेजा गया था, उसे  भूलकर  माया के जाल में फिर से फंस जाता है। उन्होंने कहा कि जीव लालच में आकर ज्ञान की प्राप्ति नहीं करता, जिससे मोक्ष पदवी मिलना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि परमात्मा निरंकार है, उसका कोई आकार नहीं है।