मानसून सीजन में तेजी से बढ़ रहा आई फ्लू


-वातावरण में नमी बढ़ने से बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं


-गंदगी और कीचड़ के कारण संक्रमण के फैलने की संभावना अधिक होती है


 

नोएडा (अमन इंडिया ) । मानसून का सीजन अपने साथ न केवल बारिश और ठंडक लाता है, बल्कि कई संक्रामक बीमारियों को भी बढ़ावा देता है। इस बार, मानसून के साथ आई फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आई फ्लू, जिसे वायरल कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है, एक अत्यंत संक्रामक आंखों की बीमारी है जो बारिश के मौसम में आम हो जाती है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपांजलि आर्य का कहना है कि मानसून के दौरान वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं। गंदगी और कीचड़ के कारण संक्रमण के फैलने की संभावना अधिक होती है। बारिश के कारण जगह-जगह जलजमाव हो जाता है, जो बैक्टीरिया और वायरस के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। जलजमाव वाले क्षेत्रों में लोग अधिक संक्रमित हो सकते हैं और यह संक्रमण तेजी से फैल सकता है। मानसून के दौरान लोग अक्सर घर के अंदर अधिक समय बिताते हैं, जिससे संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट, स्कूल, और ऑफिस में भीड़भाड़ के कारण आई फ्लू के वायरस आसानी से फैल सकते हैं। बारिश के दौरान स्वच्छता बनाए रखना मुश्किल हो जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। गंदे हाथों से आंखों को छूने से भी संक्रमण तेजी से फैलता है। मानसून के दौरान वातावरण में परागकण, धूल, और अन्य एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ बढ़ जाते हैं, जो आई फ्लू के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। प्रदूषित पानी और हवा के संपर्क में आने से भी आई फ्लू का खतरा बढ़ जाता है। आई फ्लू अत्यधिक संक्रामक है और संक्रमित व्यक्ति के तौलिए, तकिए, या अन्य व्यक्तिगत सामान का उपयोग करने से भी फैल सकता है। सार्वजनिक स्थानों पर संक्रमित सतहों को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है। मानसून के दौरान आई फ्लू के मामलों में वृद्धि होती है। इसलिए, लोगों को अपने हाथों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए और आंखों को गंदे हाथों से छूने से बचना चाहिए। मानसून के दौरान आई फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए जागरूकता और सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। उचित स्वच्छता, सावधानी, और समय पर चिकित्सीय सलाह लेकर इस संक्रामक बीमारी से बचा जा सकता है। मानसून के दौरान आई फ्लू के मामलों में वृद्धि होती है। अगर किसी को आई फ्लू के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें और स्व-दवा का सेवन न करें। आई फ्लू मुख्यतः वायरस के संक्रमण के कारण होता है। मानसून के दौरान नमी और गंदगी के बढ़ने से वायरस तेजी से फैलते हैं।  आई फ्लू एडेनोवायरस, हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस, और एंटरोवायरस इसके मुख्य कारण होते हैं। स्टैफिलोकोकस और स्ट्रेप्टोकोकस जैसे बैक्टीरिया भी इसे उत्पन्न कर सकते हैं। धूल, पराग, और अन्य एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ भी आई फ्लू का कारण बन सकते हैं। वायरल कंजंक्टिवाइटिस यह सबसे आम प्रकार है और अत्यधिक संक्रामक होता है। बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में आंखों से पीला या हरा चिपचिपा पदार्थ निकलता है और यह भी संक्रामक होता है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस: यह धूल, पराग, या अन्य एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने से होता है। आई फ्लू के मामले में विशेषज्ञ की सलाह लेना बहुत महत्वपूर्ण है। मानसून के सीजन में आई फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए सावधानी बरतना आवश्यक है। समय पर पहचान और उचित उपचार से इस संक्रामक बीमारी से बचा जा सकता है। जागरूकता और सतर्कता ही आई फ्लू से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।

 

आई फ्लू के लक्षणः

● आंखों में लालिमा

● आंखों से पानी आना या चिपचिपा पदार्थ निकलना

● आंखों में खुजली या जलन

● आंखों में सूजन

● रोशनी के प्रति संवेदनशीलता

● धुंधली दृष्टि

आई फ्लू से बचावः

● नियमित रूप से हाथ धोएं और चेहरे को छूने से बचें।

● आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति से निकट संपर्क से बचें।

● आंखों में खुजली या जलन होने पर उन्हें रगड़ने से बचें।

● तौलिया, तकिए का कवर, और आंखों से संबंधित सामान को नियमित रूप से साफ करें।

● अपनी आंखों का मेकअप और कांटेक्ट लेंस साफ रखें और संक्रमण के दौरान उनका उपयोग न करें।