उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने और कवरेज बढ़ाने के लिए नीति आयोग की स्वास्थ्य बीमा को लेकर हुई बैठक
- स्वास्थ्य बीमा में हालिया सुधारों पर दिल्ली के नीति आयोग भवन में हुई चर्चा
नोएडा (अमन इंडिया ) । नीति आयोग के नेतृत्व में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा सोमवार को स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने और कवरेज का विस्तार करने के विषय पर एक महत्वपूर्ण बहु-हितधारक बैठक हुई। यह बैठक डॉ. वी. के. पॉल सदस्य (स्वास्थ्य) नीति आयोग की अध्यक्षता में नीति आयोग के भवन में संपन्न हुई।
वहीं फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डी.के. गुप्ता ने स्वास्थ्य बीमा में हालिया सुधारों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सुधारों का उद्देश्य अधिक से अधिक नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान करना है, ताकि हर व्यक्ति को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। डॉ. डी.के. गुप्ता ने कहा कि आज के समय में बीमारियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए सभी नागरिकों के पास स्वास्थ्य बीमा होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इन सुधारों के तहत योजनाओं को इस तरह डिजाइन किया गया है कि बीमा का लाभ उठाना आसान हो और किसी भी स्थिति में लोगों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि नई योजनाएं और प्रक्रियाएं लोगों के लिए समझने में सरल और प्रभावी होनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ ले सकें। डॉ. गुप्ता ने सुझाव दिया कि सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीमा योजनाएं किफायती और व्यापक हों। उन्होंने जोर दिया कि बीमा का दायरा सिर्फ इलाज तक सीमित न रहकर रोकथाम और पुनर्वास सेवाओं को भी कवर करना चाहिए, जिससे नागरिकों को संपूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सके।सदस्यों ने कहा वर्तमान में भारत में लगभग 25 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में स्वास्थ्य बीमा से कवर हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, उपभोक्ता अनुभव से जुड़े कुछ गंभीर मुद्दे सामने आए हैं, जिनमें लाइफस्टाइल बीमारियों के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि, क्लेम सेटलमेंट में देरी, उच्च प्रीमियम दरें और अस्पतालों द्वारा समय-समय पर "सर्ज प्राइसिंग" जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, ‘मिसिंग मिडल’ के रूप में पहचाने जाने वाले जनसंख्या वर्ग को स्वास्थ्य बीमा उत्पादों की उपलब्धता और अफोर्डेबिलिटी के मामले में विशेष कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा हाल ही में किए गए सुधारों ने इस क्षेत्र में नए और बड़े अवसरों को प्रदान किया है। इस बैठक में आईआरडीएआई, बीमा कंपनियों, और निजी अस्पताल संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए। जिन्होंने उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाने, विश्वास को मजबूत करने, सस्ती बीमा योजनाओं के विकास और स्वास्थ्य बीमा के प्रति जनमानस में जागरूकता व रुझान बढ़ाने के विभिन्न उपाय पर चर्चा की। पहले सत्र में ग्राहक-मित्र स्वास्थ्य बीमा सेवाएं यानी भुगतान कर्ता और प्रदाताओं की जिम्मेदारी पर चर्चा हुई। इस सत्र में बीमा प्रदाताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच समन्वय बढ़ाकर ग्राहकों के अनुभव में सुधार लाने के विषय पर विचार किया गया। दूसरे सत्र में सस्ते उत्पादों के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा कवरेज का विस्तार पर चर्चा हुई। हालिया नियामक सुधारों के बाद के अवसर आईआरडीएआई के नए दिशा-निर्देशों और सुधारों के बाद व्यापक जनसमुदाय के लिए सस्ती बीमा योजनाओं के विकास पर चर्चा की गई। बैठक में डॉ. वीके. पॉल, स्वास्थ्य सदस्य, नीति आयोग इस पर विस्तार से चर्चा की गई। सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया गया। यह बैठक न केवल उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं और जरूरतों को समझने में सहायक सिद्ध हुई। बल्कि स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में व्यापक कवरेज और प्रभावी सेवा प्रदान करने के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित करेगी। इस मौके पर राजीब कुमार सेन, कार्यक्रम निदेशक (स्वास्थ्य), नीति आयोग, बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, सीईओ, नीति आयोग, दीपक सूद, सदस्य (गैर-जीवन), आईआरडीएआई ने भी अपने विचार रखे।